विश्व धरोहर बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित
बौद्ध संप्रदायों की आस्था का प्रतीक पवित्र महाबोधि वृक्ष पूरी तरह स्वस्थ
है। यहां महाबोधि वृक्ष से गिर रहे पत्ते प्राकृतिक रूप से ही गिर रहे
हैं। महाबोधि वृक्ष के संरक्षण में लगे वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के
वैज्ञानिक डॉ. एऩ एस.के. हर्ष ने मंगलवार को महाबोधि वृक्ष का निरीक्षण किया।
उन्होंने कहा कि वृक्ष पूरी तरह स्वस्थ है। हर्ष ने कहा कि पत्ते गिरने की यह प्रक्रिया प्राकृतिक है। इस मौसम में पत्ते पीले पड़ते हैं और झड़ते हैं। उन्होंने वृक्ष के रखरखाव के लिए बोधगया मंदिर कार्यकारिणी समिति के सचिव एन दोरजे को जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए। उन्होंने महाबोधि वृक्ष के निकट श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए जा रहे जल पर चिंता प्रकट की और इससे वृक्ष को संक्रमण का खतरा बताया।
गौरतलब है कि पिछले साल 29 जुलाई को महाबोधि वृक्ष की एक टहनी टूटकर गिर गई थी। वहीं महाबोधि वृक्ष के नजदीक ही इस साल आतंकियों ने बम विस्फोट भी किया था। इससे भी वृक्ष में संक्रमण बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी। महाबोधि वृक्ष का संरक्षण वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के वैज्ञानिक करते हैं। पिछले साल जुलाई में भी केंद्र के दो वैज्ञानिकों ने वृक्ष का निरीक्षण किया था। उन्होंने भी वृक्ष की जड़ों के पास जलजमाव पर चिंता प्रकट की थी।
मान्यता है कि महाबोधि मंदिर स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। एएसआई की ओर से बोधगया संरक्षित इलाका है। देश और दुनिया से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां तीर्थ और पर्यटन करने आते हैं।
उन्होंने कहा कि वृक्ष पूरी तरह स्वस्थ है। हर्ष ने कहा कि पत्ते गिरने की यह प्रक्रिया प्राकृतिक है। इस मौसम में पत्ते पीले पड़ते हैं और झड़ते हैं। उन्होंने वृक्ष के रखरखाव के लिए बोधगया मंदिर कार्यकारिणी समिति के सचिव एन दोरजे को जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए। उन्होंने महाबोधि वृक्ष के निकट श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए जा रहे जल पर चिंता प्रकट की और इससे वृक्ष को संक्रमण का खतरा बताया।
गौरतलब है कि पिछले साल 29 जुलाई को महाबोधि वृक्ष की एक टहनी टूटकर गिर गई थी। वहीं महाबोधि वृक्ष के नजदीक ही इस साल आतंकियों ने बम विस्फोट भी किया था। इससे भी वृक्ष में संक्रमण बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी। महाबोधि वृक्ष का संरक्षण वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के वैज्ञानिक करते हैं। पिछले साल जुलाई में भी केंद्र के दो वैज्ञानिकों ने वृक्ष का निरीक्षण किया था। उन्होंने भी वृक्ष की जड़ों के पास जलजमाव पर चिंता प्रकट की थी।
मान्यता है कि महाबोधि मंदिर स्थित पीपल के वृक्ष के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। एएसआई की ओर से बोधगया संरक्षित इलाका है। देश और दुनिया से हर साल लाखों श्रद्धालु यहां तीर्थ और पर्यटन करने आते हैं।
0 comments:
Post a Comment